WORK OF H.W.

हेल्थ एण्ड वेलनेस सब सेन्टर (Patient and RMP through Heakth Worker at a Sub Center of Peripheral Center) पर स्वास्थ्य कर्मी(Nurse , ANM, Mid Level Health Practitioner, Allied Health Professional-Physician Assistant or any other Health Worker) का पंजीकृत चिकित्सक (R.M.P) द्वारा टेलीमेडिसिन के माध्यम से किये जाने वाले इलाज के समय कार्य एवं अन्य प्रमुख कार्य/भूमिका –

  1. ग्रामीण क्षेत्र में अचानक से बीमार अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को प्राथमिक उपचार देकर, उसकी प्राण की रक्षा करना, तथा शारीरिक तकलीफों एवं क्षतियों को कम करना एवं आवश्यकता पड़ने पर बेहतर इलाज हेतु स्वास्थ्य केन्द्र पर भेजना ।
  2. प्रमुख संचारी रोग- मलेरिया, टायफायड, डायरिया, डिसेन्ट्री, भोजन विषाक्ता, हैजा, टी.बी., टेटनेस, रेबीज, डेंगू, चिकनगुनिया, फाइलेरिया, दिमागी बुखार, चेचक या बड़ी माता, लघुमसुरिका या छोटी माता, खसरा, इन्फ्लुएन्जा, सर्दी-जुकाम, फोड़ा-फुन्सी एंव यौन संचारी रोगों का प्राथमिक स्तर पर उपचार करना एंव इन्हे महामारी के रुप में फैलने से रोकना।
  3. गैर संचारी रोग- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, थायराइड, कुपोषण, दुर्घटनाएं जैसे-सड़क दुर्घटना या किन्ही अन्य कारणों से चोट लगने पर मलहम पट्टी करना एंव रक्तस्राव रोकना, हृदयघात (CPR देना), श्वसन आपात स्थिति, जलना व झुलसना, विद्त आघात, लू लगना, ठण्ड लगना, साँप काटना, जहर विषाक्ता, पानी में डूबना, कुत्ता काटना, आदि का प्राथमिक स्तर पर उपचार करना अथवा आवश्यकता पड़ने पर बेहतर इलाज हेतु स्वास्थ्य केन्द्रों पर भेजना।
  4. चिकित्सीय देखरेख करना- किसी रोगी का स्थानीय स्तर पर किसी पंजीकृत चिकित्सक द्वारा किये जा रहे इलाज एवं अस्पताल में भर्ती रोगी के डिस्चार्ज होकर घर आने पर रोगी की चिकित्सीय देखरेख करना जैसे- रक्तचाप, मधुमेह, ऑक्सीजन, नाड़ी गति, शरीर का तापमान नापना एवं नोट करना एवं समयानुसार दवा खिलाना, ड्रेसिंग पट्टी करना एवं रोगी को आहार के बारे में बताना आवश्यकता पड़नें पर रोगी की वर्तमान स्थिति का आंकलन कर इलाज कर रहें चिकित्सक को फोन पर अवगत कराना एवं उसके द्वारा दिये गये परामर्श के अनुसार कार्य करना।
  5. आपात स्थिति- आपातकाल की स्थिति में जैसे-हृदयघात होने पर रोगी को CPR देना एंव किसी प्रकार की दुर्घटना से चोटग्रस्त व्यक्ति को हो रहे रक्तस्राव को रोकने का प्रयास करना तथा बेहोश व्यक्ति का ABC (Airway, Breathing, Circulations) के सिद्न्त का पालन करते एवं उसकी प्राण की रक्षा करते हुए उसे बेहतर इलाज हेतु चिकित्सा स्वास्थ्य केन्द्र पर भेजना।
  6. क्रानिक स्वास्थ्य (पुराने रोग) समस्या- रोगी की वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति का आँकलन कर स्वास्थ्य विशेषज्ञ/उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा वाले चिकित्सा केन्द्र पर उसे बेहतर इलाज कराने हेतु परामर्श देना।
  7. चिकित्सक परामर्श के बगैर उपयोग की जाने वाली दवाओ के बारें में आम-जन को जागरुक करना- एन्टीबायोटिक्स दवा, दर्द की दवा, गैस की दवा, प्रोटीन पाउडर, स्टीरॉयरड, एन्टी एलर्जी की दवा आदि का चिकित्सक के परामर्श के बगैर स्वंय से अथवा अप्रशिक्षित व्यक्ति की सलाह पर उपयोग करने पर होने वाले दुष्प्रभाव के बारें में आम-जन को सचेत करना।
  8. OTC (over the Counter) दवा के बारें में- आम-जन को “OTC (over the Counter)’’ (चिकित्सीय परामर्श के बिना खरीदी और बेची जाने वाली दवाइयाँ) की दवाओं के उपयोग करने में सावधानियाँ, उनके दुष्प्रभाव, खुराक, आदि के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी देना।
  9. महिला स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं- महिलाओं को होने वाली स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे-किशोरावस्था, गर्भावस्था, स्तनपान तथा मीनोपॉज़ के समय महिलाओं को उत्पन्न होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्या एंव विभिन्न स्त्री रोगो का प्राथमिक स्तर पर पहचान कर टेली डॉक्टर से परामर्श के अनुसार उसका इलाज करनें में सहयोग करना।
  10. टीकाकरण- सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अन्तर्गत विभिन्न बीमारियों जैसे-पोलियों, क्षय रोग, टेटनेस, डिफ्थीरिया, काली खाँसी, हेपेटाइटिस-बी के टीकाकरण कराने हेतु आम-जन को सहयोग करना।
  11. नशे की लत को छुड़ाने हेतु कार्य करना- शराब, गाँजा, भांग, बीड़ी, सिगरेट, गुटका, तम्बाकू, अफीम आदि नशीले पदार्थों के सेवन से उत्पन्न होने वाली शारीरिक एंव मानसिक समस्याओं के बारे में आम-जन को सचेत करना, एवं आवश्यकता पड़ने पर नशा मुक्ति केन्द्र पर इलाज कराने हेतु परामर्श देना।
  12. पोषणीय स्वास्थ्य समस्याएँ दूर करने हेतु कार्य करना- विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, वसा की कमी से उत्पन्न होने वाले रोगो एवं समस्याओं का प्राथमिक स्तर पर पहचान कर टेलीडॉक्टर असिस्टेन्ट से परामर्श लेकर उसके चिकित्सीय परामर्श के अनुसार कार्य करना तथा रोगी को अपने आहार में पोषक तत्वों तथा संतुलित आहार को सम्मिलित करने हेतु सलाह देना।
  13. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु कार्य करना- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु स्थानीय लोगों को विटामिन-A विटामिन-B, विटामिन B12, विटामिन-C, विटामिन-D, आयरन, जिंक आदि जैसे पोषक तत्व को अपने खान-पान में शामिल करना तथा शारीरिक व्यायाम एंव योगा करना, पर्याप्त नींद लेना, तनाव मुक्त रहना शराब एंव धूम्रपान से बचना आदि कार्य करने की सलाह देना, जिससे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, प्रोटोजोआ, आदि रोग जनक कारकों से होने वाली विभिन्न बीमारियों एंव अन्य शारीरिक समस्याओं से बचाया जा सकें।
  14. जनसंख्या निंयत्रण हेतु कार्य करना- स्वास्थ्य कर्मी द्वारा जनसंख्या नियंत्रण हेतु क्षेत्रीय लोगो को परिवार नियोजन के लाभ एवं उपलब्ध साधनों के उपयोग के बारें में बताना। जिससे जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सके तथा असुरक्षित यौन सम्बन्धों से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके।
  15. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (N.H.M.) योजना का लाभ दिलाना-
    भारत सरकार/उ0प्र0 सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (N.H.M.) योजना के अन्तर्गत चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ आम-जन तक पहुँचाने हेतु स्थानीय स्तर पर कार्य करना।
  16. ई-संजीवनी केन्द्र के माध्यम से इलाज कराना-
    स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा के अन्तर्गत संचालित ई-संजीवनी केन्द्र पर स्थानीय लोगो को इलाज कराने हेतु सुझाव देना।

चिकित्सक सहायक (स्वास्थ्यकर्मी) द्वारा हेल्थ एण्ड वेलनेस सब सेन्टर पर किये जाने वाले अन्य कार्य- (Patient and RMP through Health Worker at a Sub Center or Peripheral Center)

  1. रोगी का शारीरिक परीक्षण करना जैसे-शरीर का तापमान, रक्तचाप, नाड़ी की गति, लम्बाई, वजन, श्वसन दर नाप कर, उम्र, लिंग आदि रोगी पंजीकरण रजिस्टर पर नोट करना।
  2. किसी दवा से रोगी को एलर्जी, किसी नशे की लत, एवं परिवार के किसी सदस्य को आनुवांशिक कोई गम्भीर बीमारी हो अथवा रही हो जैसे-मधुमेह, रक्तचाप, थायराइड, कैंसर, हदय रोग आदि की जानकारी लेना।
  3. यदि रोगी महिला है तो उसकी अंतिम महावारी तिथि, गर्भावस्था माह, स्तनपान, अथवा रजनोवृत्ति के बारे में जानकारी लेना।
  4. रोगी की वर्तमान समस्या/तकलीफ के बारे में विस्तृत जानकारी लेना।
  5. रोगी द्वारा वर्तमान समय में स्वंय से अथवा किसी चिकित्सक द्वारा दी गयी दवा की जानकारी लेना।
  6. रोगी पूर्व से किसी अन्य गंभीर रोग से ग्रसित हो अथवा रहा हो या पूर्व से कोई दवा चल रही हो उसकी जानकारी लेना।
  7. रोगी की वर्तमान स्थिति का आँकलन करने पर स्वास्थ्य कर्मी को लगता है कि टेलीपरामर्श के माध्यम से रोगी का इलाज कराया जा सकता है, तो स्वास्थ्य कर्मी रोगी/रिश्तेदार को टेलीमेडिसिन एवं टेलीपरामर्श दाता के बारें में विस्तार पूर्वक बताना।
  8. स्वास्थ्य कर्मी रोगी/रिश्तेदार से पंजीकृत चिकित्सक व्यवसायी (RMP) से टेलीमेडिसिन के माध्यम से इलाज कराने हेतु लिखित सहमति प्राप्त करके चिकित्सक को भेजना।
  9. रोगी/रिश्तेदार का नाम, पता, मो0नं0, वाट्सप न0, आधार कार्ड, ई-मेल आई0डी0, आदि को रोगी पंजीकरण रजिस्टर पर अंकित करना।
  10. टेली परामर्शदाता द्वारा उपकेन्द्र पर रोगी के किये जा रहे इलाज के समय स्वास्थ्य कर्मी को दिये जा रहे दिशा-निर्देश के अनुसार कार्य करना।
  11. आपातकालीन स्थिति में स्वास्थ कर्मी रोगी को आन्तरिक चिकित्सा दशा के बारें में शीघ्र टेली परामर्शदाता को अवगत कराना।
  12. टेलीपरामर्श दाता, द्वारा दिये गये परामर्श के अनुसार स्वास्थ्य कर्मी द्वारा रोगी को प्राथमिक उपचार/तत्काल राहत देकर यदि आवश्यकता है तो व्यक्तिगत परामर्श हेतु चिकित्सालय भेजने का प्रबन्ध करना।
  13. स्वास्थ्य कर्मी उपकेन्द्र पर इलाज कराने वाले रोगी का समस्त विवरण (शारीरिक परीक्षण प्रपत्र, रोगी का सहमति प्रपत्र, रोगी पंजीकरण रजिस्टर एवं पंजीकृत चिकित्सक (RMP) का विवरण का रिकॉर्ड रखना।